The smart Trick of Shodashi That No One is Discussing
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You can find many benefits of chanting the Shodashi Mantra, out of which The main types are described underneath:
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
आस्थायास्त्र-वरोल्लसत्-कर-पयोजाताभिरध्यासितम् ।
वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपिणीम् ।
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥८॥
अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे
The Mantra, on the other hand, can be a sonic illustration with the Goddess, encapsulating her essence as a result of sacred syllables. Reciting her Mantra is considered to invoke her divine existence and bestow blessings.
देवीभिर्हृदयादिभिश्च परितो विन्दुं सदाऽऽनन्ददं
They were also blessings to achieve materialistic blessings from distinct Gods and Goddesses. For his consort Goddess, he enlightened human beings Using the Shreechakra and as a way to activate it, just one has got to chant the Shodashakshari Mantra, that is often known as the Shodashi mantra. It is said to generally be equal to all of the 64 Chakras set alongside one another, along with their Mantras.
She is also referred to as Tripura mainly because all her hymns and mantras have three clusters of letters. Bhagwan Shiv is believed being her consort.
लक्ष्या या पुण्यजालैर्गुरुवरचरणाम्भोजसेवाविशेषाद्-
कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥
Away from curiosity why her father did not invite her, Sati went to your ceremony Despite the fact that God Shiva experimented with warning her.
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की more info ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।